बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 भूगोल - सुदूर संवेदन एवं भौगोलिक सूचना प्रणाली के मूल तत्व बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 भूगोल - सुदूर संवेदन एवं भौगोलिक सूचना प्रणाली के मूल तत्वसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 भूगोल - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- सुदूर संवेदन में उपयोग होने वाले प्रमुख संवेदकों (कैमरों ) का वर्णन कीजिए।
उत्तर -
प्रमुख संवेदक (कैमरे )
(1) वायव कैमरे (Aerial Cameras)
किसी भी प्रकार के कैमरे से वायु फोटोचित्र खींचा जा सकता है परन्तु फोटोग्राममिति (Photogrammetry) की दृष्टि से उपयोगी, उच्च विभेदन (high resolution) के लक्षण वाले वायु फोटोचित्र प्राप्त करने के लिये ऐसे कैमरे प्रयोग में लाये जाते हैं जो किसी गतिमान प्लेटफार्म से तेजी के साथ एक के बाद एक करके अनेक फोटोचित्र ले सकें। आजकल हवाई फोटोग्राफी में नीचे लिखे गये चार प्रकार के कैमरों का प्रयोग होता है।
(i) एकल-लेन्स फ्रेम कैमरा (Single-lens frame camera ) - कोई भी कैमरा जिससे दृश्य क्षेत्र के अलग-अलग फोटोचित्र खींचे जा सकें, फ्रेम कैमरा कहलाता है। सामान्य कैमरा इसी वर्ग में आता है। फोटोग्राममितीय (photogrammetric) मानचित्रण के उद्देश्य से की जाने वाली हवाई फोटोग्राफी में इस प्रकार के कैमरे बहुत उपयोगी होते हैं। इसीलिए इस कैमरे को मानचित्रण कैमरा (mapping camera), कार्टोग्राफिक कैमरा ( cartographic camera), व फोटोग्राममितीय कैमरा (photogrammetric camera) आदि नामों से जाना जाता है।
(ii) बहु लेन्स फ्रेम कैमरा (Multilens frame camera ) - एकल-लेन्स फ्रेम कैमरे से प्रभावोत्पादक फोटोचित्र केवल उसी दशा में प्राप्त हो सकते हैं जब 0.4 से 0.7jum तरंग दैर्ध्य प्रदेश में धरातलीय लक्षणों के स्पेक्ट्रमी परावर्तन (spectral reflectance) के प्रतिरूप में एकदम स्पष्ट अन्तर विद्यमान हों। यदि ऐसा नहीं है तो विवरणों की अलग-अलग स्पष्ट पहचान हेतु बहुबैण्ड फोटोग्राफी (multiband photography) करना आवश्यक हो जाता है। इस प्रकार की फोटोग्राफी में किसी बहु-लेन्स फ्रेम कैमरा, जैसे जाइस का चार-लेन्स कैमरा (Zeiss four-lens camera) या रीडिंग का नौ-लेन्स कैमरा (Reading nine-lens camera) का प्रयोग किया जाता है।
विभिन्न प्रकार के वर्ण-फिल्टरों (colour filters) व फिल्मों का प्रयोग करते हुए अलग-अलग स्पेक्ट्रमी बैण्डों में एक ही स्थान से दिये हुए दृश्य-क्षेत्र के एक साथ खींचे गये फोटोचित्रों को बहुबैन्ड फोटोचित्र (multiband photographs) की संज्ञा देते हैं।
फोटोचित्रों का विश्लेषण करने के लिये एक विशेष प्रकार के प्रक्षेपित्र (projector) (जिसे संकली वर्ण दर्शी (additive colour viewer) कहते हैं, की सहायता ली जाती है। इस उपकरण में टेलीविजन स्क्रीन की भाँति एक दर्शन-परदा होता है, जिस पर उपकरण के भीतर लगे चार अलग-अलग प्रक्षेपित्र अपनी-अपनी 7 पारदर्शी फिल्मों को प्रक्षेपित कर सकते हैं।
बहुबैन्ड फोटोचित्रों का विश्लेषण करते समय प्रायः किसी संकली वर्ण दर्शी के तीन प्रक्षेपित्रों को एक साथ चलाते हैं। नीले, हरे व लाल बैन्डों के स्पेक्ट्रमी पॉजिटिवों का प्रकाशीय मिश्रण करने पर, दर्शन परदे पर सम्बन्धित दृश्य क्षेत्र अपने 'यथार्थ' रंग (true colour) में दिखलायी देता है। इसके विपरीत हरे, लाल व निकट अवरक्त बैन्डों का प्रकाशीय अध्यारोपण करने पर वही दृश्य क्षेत्र 'मिथ्या' (false ) रंग धारण कर लेता है। यथार्थ रंग के प्रतिबिम्ब को यथार्थ वर्ण संयुक्त प्रतिबिम्ब (true colour composite image) कहते हैं तथा मिथ्या रंग वाले प्रतिबिम्ब को मिथ्या वर्ण संयुक्त प्रतिबिम्ब ( false colour composite of FCC image) की संज्ञा देते हैं।
(iii) स्ट्रिप कैमरा (Strip camera ) - कम ऊँचाई की हवाई उड़ानों से तेजी के साथ किसी क्षेत्र का सैन्य आवीक्षण करने के उद्देश्य से स्ट्रिप कैमरे का आविष्कार किया गया। तत्पश्चात् ये कैमरे नहर खोदने, सड़कें बनाने तथा रेल व टेलीफोन लाइन बिछाने आदि, ऐसे सिविल कार्यों में प्रयोग किये जाने लगे। वर्तमान समय में उच्च कोटि के अन्य कैमरों ने स्ट्रिप कैमरे के उपयोग को सीमित कर दिया है।
(iv) विशालदर्शी कैमरा (Panoramic camera ) - विशालदर्शी कैमरे से खींचा गया प्रत्येक वायु फोटोचित्र एक क्षितिज से दूसरी क्षितिज के मध्य स्थित सम्पूर्ण दृश्य क्षेत्र को कवर कर सकता है। विशालदर्शी कैमरे के द्वारा प्राप्त कोई वायु फोटोचित्र धरातल के काफी बड़े भाग को कवर कर लेता है परन्तु किनारों की तरफ मापनी की अत्यधिक त्रुटि (distortion) हो जाने के कारण यह वायु फोटोचित्र फोटोग्राममिति की दृष्टि से अधिक उपयोग नहीं होता है।
(2) इलेक्ट्रॉनिक कैमरे (Electronic Cameras)
इलैक्ट्रॉनिक कैमरे में वायव कैमरे की भाँति, फोटोग्राफिक फिल्म का प्रयोग नहीं होता इसलिये इलेक्ट्रॉनिक कैमरों से प्रतिबिम्ब प्राप्त करने की विधि को प्रायः अंकीय फोटोग्राफी (digital photography) की संज्ञा दी जाती है। इस विधि में कैमरे के भीतर चार्ज - युग्मित संसूचकों (charge coupled detectors or CCD's) से निर्मित द्विविम आकृति वाला (two dimensional shape) एक ऐसी युक्ति (device) लगी होती है, जिसका प्रत्येक संसूचक प्रतिबिम्ब - दृश्य ( image scene ) के किसी एक पिक्सल (pixel) का संवेदन करता है। सूक्ष्मइलेक्ट्रॉनिक सिलिकन चिप (microelectronic silicon chip) से निर्मित कोई (CCD) होता है। जैसे ही इस घन - अवस्था (solid-state) वाले संसूचक या CCD की सिलिकन सतह पर ऊर्जा टकराती है तो तुरन्त इलेक्ट्रॉनिक आवेश (electronic charges) उत्पन्न हो जाते हैं। इन आवेशों के परिमाण (magnitude) दृश्य क्षेत्र की चमक (brightness) के समानुपाती (proportional) होते हैं। वीडियो रिकार्डिंग में परिमाण सम्बन्धी इस इलेक्ट्रॉनिक सूचना को अनुरूप संकेतों (analog signals) के रूप में चुम्बकीय टेप पर तथा अंकीय कैमरे में अंकीय डेटा ( digital data) के रूप में कम्प्यूटर डिस्क (computer disc) पर अभिलिखित किया जाता है, जिससे बाद में कम्प्यूटर मॉनीटर पर देखा जा सके।
(3) बहुस्पेक्ट्रमी क्रमवीक्षक (Multispectral Scanner or MSS)
ये क्रमवीक्षक बहुबैन्ड फोटोग्राफी के नियमानुसार धरातलीय लक्षणों का संवेदन करते हैं परन्तु बहुबैण्ड फोटोग्राफी में प्रयोग किये जाने वाले वायव कैमरों की तुलना में बहुस्पेक्ट्रमी क्रमवीक्षकों (MSS's) को अधिक उपयोगी एवं श्रेष्ठ माना जाता है। इसके पाँच मुख्य कारण हैं- प्रथम, वायव कैमरे केवल 0.3 से 0.9um के मध्य अपेक्षाकृत चौड़े तरंगदैर्ध्य बैन्डों में फोटोग्राफी कर सकते हैं। इसके विपरीत किसी बहुस्पेक्ट्रमी क्रमवीक्षक के संवेदन का स्पेक्ट्रमी परास (spectral range) 0.3 से 14.0pm तक विस्तीर्ण होता है। दूसरे शब्दों में, वायव कैमरा विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम के पराबैंगनी, दृश्य एवं निकट अवरक्त बैण्डों में फोटोग्राफी करता है जबकि बहुस्पेक्ट्रमी क्रमवीक्षक इन बैण्डों के साथ-साथ मध्य- अवरक्त व तापीय अवरक्त प्रदेशों में भी संवेदन कर सकता है। द्वितीय, बहुबैन्ड फोटोग्राफी में प्रयोग किये जाने वाले बहुलेन्स वायव कैमरे में अलग-अलग तरंगदैर्ध्य बैन्डों के लिये अलग-अलग प्रकाशीय तंत्र (optical systems) लगे होते हैं अतः विकिरणमिति (radiometry ) व फोटोग्राममिति (photogrammetry) के विचार से सभी बैन्डों के परस्पर तुलनायोग्य वायु फोटोचित्र प्राप्त करने में कुछ कठिनाई होती है। इसके विपरीत बहुस्पेक्ट्रमी क्रमवीक्षक में एक ही प्रकाशीय तंत्र समस्त स्पेक्ट्रमी बैन्डों का एक साथ संवेदन कर लेता है। तृतीय, चूँकि बहुबैन्ड वायु फोटोचित्र, फोटोग्राफी के प्रकाश रासायनिक प्रक्रमों (photochemical processes) पर आधारित होते हैं अतः विकिरणमिति के अनुसार अंशांकन (calibration) करना कुछ कठिन होता है। इसके विपरीत बहुस्पेक्ट्रमी क्रमवीक्षकों के डेटा के अंशांकन में सरलता रहती है। क्योंकि ये इलेक्ट्रॉनिक विधि से प्राप्त होते हैं। चतुर्थ, बहुबैन्ड वायु फोटोचित्र मिशन समाप्ति के बाद प्राप्त होते हैं जबकि बहुस्पेक्ट्रमी क्रमवीक्षक के डेटा को इलेक्ट्रॉनिक ढंग से धरातल के डेटा प्राप्ति केन्द्रों (data receiving station) पर साथ-साथ भेज दिया जाता है।
किसी अन्तरिक्ष आधारित प्लेटफार्म से संवेदन करते समय क्रमवीक्षकों का यह गुण बहुत लाभदायी होता है। पंचम, वायु फोटोग्राफी की प्रक्रिया में फिल्म की लगातार आपूर्ति करनी पड़ती है परन्तु क्रमवीक्षक को किसी फिल्म की आवश्यकता नहीं होती।
क्रॉस-ट्रैक क्रमवीक्षकों के द्वारा प्राप्त प्रतिबिम्बों, तथा अन्य क्रमवीक्षण तंत्रों की विशेषता का वर्णन दो लक्षणों के अनुसार करते हैं- (i) स्पेक्ट्रमी विभेदन तथा (ii) स्थानिक विभेदन |
(4) तापीय क्रमवीक्षक (Thermal Scanner)
इस क्रमवीक्षक के संसूचक विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम के केवल तापीय प्रदेश ( thermal region) की ऊर्जा का संवेदन कर सकते हैं। इसी कारणवश इस क्रमवीक्षक को तापीय क्रमवीक्षक नाम दिया गया है। तापीय प्रदेश की वायुमण्डलीय खिड़कियों ( atmospheric windows) की अवस्थितियों के अनुसार इस क्रमवीक्षक का प्रयोग केवल 3 से 5 pm और अथवा 8 से 14 um के तरंग दैर्ध्य परासों (wavelength ranges ) में सीमित रहता है।
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- प्रश्न- सुदूर संवेदन के अंतर्राष्ट्रीय विकास पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सुदूर संवेदन के भारतीय इतिहास एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सुदूर संवेदन का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सुदूर संवेदन को परिभाषित कीजिए।
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- प्रश्न- उपग्रह कितने प्रकार के होते हैं?
- प्रश्न- सुदूर संवेदन की आधारभूत संकल्पना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम के सम्बन्ध में विस्तार से अपने विचार रखिए।
- प्रश्न- वायुमण्डलीय प्रकीर्णन को विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रमी प्रदेश के लक्षण लिखिए।
- प्रश्न- ऊर्जा विकिरण सम्बन्धी संकल्पनाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। ऊर्जा
- प्रश्न- स्पेक्ट्रल बैण्ड से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- स्पेक्ट्रल विभेदन के बारे में अपने विचार लिखिए।
- प्रश्न- सुदूर संवेदन की विभिन्न अवस्थाओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सुदूर संवेदन की कार्य प्रणाली को चित्र सहित समझाइये |
- प्रश्न- सुदूर संवेदन के प्रकार और अनुप्रयोगों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विद्युत चुम्बकीय वर्णक्रम पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
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- प्रश्न- सुदूर संवेदन के वायुमण्डल आधारित प्लेटफॉर्म की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भू-संसाधन उपग्रहों को विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- 'सुदूर संवेदन में प्लेटफार्म' से आप क्या समझते हैं?
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- प्रश्न- विभेदन से आपका क्या आशय है? इसके प्रकारों का भी विस्तृत वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- सुदूर संवेदन में उपयोग होने वाले प्रमुख संवेदकों (कैमरों ) का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- भौगोलिक सूचना तंत्र की अभिकल्पना का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- विक्टर मॉडल की कमियों और लाभ के सम्बन्ध में अपने विचार लिखिए।
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- प्रश्न- डेटाम पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।